छंद सलिला:
बाला छंद
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, एकावली, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, बाला, मधुभार, माला, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
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बाला छंद में प्रथम तीन चरण इंद्र वज्रा छंद के तथा चतुर्थ उपेन्द्र वज्रा छंद के होते हैं.
उदाहरण:
१. आओ, बुलाया मन है हमारा, मानो न मानो दिल से पुकारा
बोलो न बोलो, हमने सुना है, किया अजाने किसने इशारा?
२. लोकापवादों युग से कही है, गाथा सदा ही जन ने अनोखी
खोटी रही तो दिल को दुखाया, सुनी कहानी कुछ खूब चोखी
३. डाला न ताला जिसने जुबां पे, भोग बुरा ही उसने हमेशा
रोका न टोका जिसको बड़ों ने, होगा न अच्छा उसका नसीबा
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संजीव ‘सलिल’
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