संजीव
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आपन बोली
आ ओकर सुभाव
मैया क लोरी.
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खूबी-खामी के
कवनो लोकभासा
पहचानल.
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तिरिया जन्म
दमन आ शोषण
चक्की पिसात.
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बामनवाद
कुक्कुरन के राज
खोखलापन.
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छटपटात
अउरत-दलित
सदियन से.
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राग अलापे
हरियल दूब प
मन-माफिक.
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गहरी जड़
देहात के जीवन
मोह-ममता.
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