बुरी आदतां दुखों कूँ, नष्ट करेंदे ईश।
साडे स्वामी तुवाडे, बख्तें वे आशीष।1।
* रोज़ करन्दे हन दुआ, तेडा-मेडा भूल।
अज सुणीज गई हे दुआं, त्रया-पंज दा भूल।2।
* रब्बा! दुःख कूँ दूर कर, जग दे रचनाकार।
डेवणवाले देवता, वरण जोग करतार।3।
कोई करे ते के करे, हे बदलाव असूल।
कायम होसी आस पे, दुनियाँ कर के भूल।4।
* शरत मुहाणां जित ग्या, नदी-किनारा हार।
लेणें कू धिक्कार हे, देणे कूँ जैकार।5। *
संजीव ‘सलिल’
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