बुरी आदतां दुखों कूँ, नष्ट करेंदे ईश।
साडे स्वामी तुवाडे, बख्तें वे आशीष।1।
* रोज़ करन्दे हन दुआ, तेडा-मेडा भूल।
अज सुणीज गई हे दुआं, त्रया-पंज दा भूल।2।
* रब्बा! दुःख कूँ दूर कर, जग दे रचनाकार।
डेवणवाले देवता, वरण जोग करतार।3।
* कोई करे ते के करे, हे बदलाव असूल।
कायम होसी आस पे, दुनियाँ कर के भूल।4।
* शरत मुहाणां जित ग्या, नदी-किनारा हार।
लेणें कू धिक्कार हे, देणे कूँ जैकार।5।
* शहनशाह हे रियाया, सपणें हुण साकार।
राजा ते हे बणेंदी, जनता हे हुंकार।6।
* गिरगिट वांगण मिन्ट विच, मणुज बदलदा रंग।
डूरंगी हे रवायत, जिवें लोह नूँ जंग।7।
* हब्बो जीवण सफल हे, घटगा गर अलगाव।
खुली हवा आजाद हे, ना होवे भटकाव।8।
* सिड्धे-सुच्चे मिलण दे, जीवन होस असाण ।
खुदगर्जी डा ख्याल छड़, सुधर वैस इंसाण ।9।
* हबो यथाईं मिलण हे, निज करमां डा फल्ल।
रब्बा मैंकू मुकुति दे, आतम पैसी कल्ल।10।
* Sanjiv verma 'Salil'
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