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Dr. Srimati Tara Singh
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सुजान छंद

 

छंद सलिला:
सुजान छंद

संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार, माला, शाला, हंसी, दोधक)

 

 

 

सुजान २ पंक्तियों का मात्रिक छंद है. इस छंद में हर पंक्ति में १४ तथा ९ मात्राओं पर यति तथा गुरु लघु पदांत का विधान है.

 

चौदह-नौ यति रख रचें, कविगण छंद सुजान
हो पदांत गुरु-लघु 'सलिल', रचना रस की खान

 

उदाहरण:
१. चौदह-नौ पर यति सूजन, में 'सलिल' न भूल।
गुरु-लघु से पद अंत करे, तो महके फूल।।

 

२. दर न मुझको किसी का भी, है दयालु ईश।
देश हित है 'सलिल' सस्ता, दे देना शीश।।


३. कोयल कूके बागों में, पनघट में शोर।
मौर खिले अमराई में, खेतों में भोर।।

 

 

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Sanjiv verma 'Salil'

 

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