Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये पूजता वो लगाता है ठोकर

 

ये पूजता वो लगाता है ठोकर
पत्थर कहे आदमी है या जोकर?

 

वही काट पाते फसल खेत से जो
गये थे जमीं में कभी आप बोकर

 

हकीकत है ये आप मानें, न मानें
अधूरे रहेंगे मुझे ख्वाब खोकर

 

कोशिश हूँ मैं हाथ मेरा न छोड़ें
चलें मंजिलों तक मुझे मौन ढोकर

 

मेहनत ही सबसे बड़ी है नियामत
कहता है इंसान रिक्शे में सोकर

 

केवल कमाया न किंचित लुटाया
निश्चित वही जाएगा आप रोकर

 

हूँ संजीव शब्दों से सच्ची सखावत
करी, पूर्णता पा मगर शून्य होकर
***

 

 

संजीव ‘सलिल’

 

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