बदनाम ना कर देश मेरा तू भी तो हिस्सेदार है।
काँधों पर है देश तेरे तू ही तो जिम्मेदार है।
भगवा पहने माला जपते उसको पंडित रहने दो...
जो ले नाम खुदा का दिन भर उसको मौलवी रहने दो....
देश प्रेम और घर का सुख दुःख इसी में जीवन रचता है....
प्रेम से दो रोटी मिल जाये इसी में जीवन रमता है....
देश तेरी जागीर है तू ही तो पहरेदार है।
काँधों पर है देश तेरे तू ही तो जिम्मेदार है।
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आदमखोर बने हैं ये गिद्ध कौमों को लड़वाते हैं....
पीकर खून के प्याले कैसे जहर उगलवाते हैं....
इंसा से इंसा की दूरी मीलों सफर कराती है.....
वोट बैंक में लिपटी चाशनी बन के कहर बरपाती है....
पहले थे दो चार दोगले अब किस्से सिलसिलेवार हैं।
काँधों पर है देश तेरे तू ही तो जिम्मेदार है।
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धर्म को छोड़ो बन के भाई हिफाजत करनी जानो तुम....
इंसा की कीमत को भाई इंसा से पहचानो तुम.....
तोड़ो ऐसे आडम्बर अब करम कुछ ऐसे कर जाओ....
इंसा बनकर आये हो अब इंसा ही बनकर जाओ....
छोड़ो ऐसी नीच पशुता अब इसकी ही दरकार है।
काँधों पर है देश तेरे तू ही तो जिम्मेदार है।
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बहुत बह चुका रक्त अभी तक बड़ी कीमती जान है....
जिस घर से वो रक्त बहा वो घर अब बेजान है....
होश सम्भालेगी जनतागर गिद्ध सारे मर जायेंगे.....
अब तो एका कर लो यारों इतिहास अमर कर जायेंगे....
दामन आज बचालो अपने घर जलने को तैयार हैं।
काँधों पर है देश तेरे तू ही तो जिम्मेदार है।
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संजीव त्यागी
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