Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उबल रहा है देश

 

उबल रहा है देश हमारा गद्दारों की बोली से।
मोदीजी अब उड़ा ही डालो दो चार को गोली से।
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साँप नेवले बिच्छू संग संग खेलें देखो होली है।
देश प्रेमियों गौर करो ये गद्दारों की टोली है।
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भ्रष्टाचार तो खूंटी पर अब टंगा हुआ है हांफ रहा।
आरक्षण को करो किनारे जो नफरत है बांट रहा।
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सदियों से रूठी किस्मत थी अब जाकर ही खोली है।
विकास करन को भारत का भेजी मोदी की टोली है।
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ऐसा ना हो शारली अब्दो कांड यहाँ भी हो जाये।
दो चार मीडिया वाले भी मौत की नींद में सो जाये।
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उससे पहले हथियार उठे कोई भगतसिंह आजाद बने।
इन्हें संभालो मोदीजी अब जो हम इतने लाचार बने।
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टुकड़े करने भारत के जो कुत्ते सारे भौंक रहे हैं।
इनके शीश उड़ाने को अब हाथ हमारे खौल रहे हैं।
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अंगार सुलगते सीनों पर ये कैसी चलती आरी है।
नश्तर बनकर चुभते दिल पर ओछी हरकत जारी है।
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अभिव्यक्ति की आजादी पर नफरत रोज फैलाते हैं।
भूल चुके सम्मान देश का और नेता बनकर जाते हैं।
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वेश्या का किरदार भी बेहतर इन जंगली सियारों से।
कुत्ते भी लज्जित हैं आज इन नकली वफादारों से।
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ओ गद्दारों सुनो गौर से ये "संजीव" चुनौती है।
अंग्रेजों को जोता हल में पहन लांग की धोती है।
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....... कवि, गीतकार एवं लेखक
"संजीव त्यागी"

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