गण से तंत्र
Inbox | x |
| 2:59 PM (3 hours ago) |
|
सिरफिरों की जड़ को कर दिया कुरेद।
स्वतंत्रता डगर पर चले बिन क्लेश।।
धर्म, जाति, पंथ भूल बढ़े एक वेष।
एक नारा एक सोच एक था उद्देश्य।।
तिरंगे की छांव में, बढ़ेगें हम।
शहिदों की राह में, चले हर कदम।।
संग साथ ताल ठोक चले चलो समग्र।
मांगती है आहूति स्वतंत्रता की यज्ञ।।
स्वतंत्र रूप भारत थिरक रहा जन जन।
मिल गया सुर सबका गाये जन गण मन।।
स्वपन है उत्थान का हिल मिल बनेगा तंत्र।
संविधान का साथ अब बना भारत गणतंत्र।।
#क्षात्र_लेखनी_
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY