हे भारत माता, उठो!!
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| 4:55 AM (2 hours ago) |
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निहार माँ की ममता, मन कहीं खो गया।
दृग प्रफुल्लित सजल, ह्रदय द्रवित हो गया।।
रहा न गया तो, कर रज से भर लिया।
प्यास बुझाने ममता की, बाह में जकड़ लिया।।
विसार दु:ख के कंटक, प्रेमांचल में ढक लिया।
ममता की शीतलता से, अभिनन्दन पुत्र का किया।।
मध्य मरूभूमि के, मिलन माता पुत्र का हुआ।
हँसी चांदनी संग चकोर, स्पर्श को व्याकुल बेसुध हवा।।
उठा! बढ़ गये कदम, विशाल वृक्ष छांव तले।
विस्मित! मित्र आगमन पर, झुम के दोनों मिले गले।।
टकटकी लगाये गगन, देख मिलन मेघ हरषाये।
सागर से पानी भर, छक कर जल बरसाये।।
उक्षित उपवन राष्ट्र प्रेम से, चहके धवल नन्हे सुमन।
भ्रमर तितली बने डाकिया, पहुँचाये संदेश भवन-भवन।।
मचा कोलाहल ग्राम में, दौड़े बालक नर-नारी।
वीरसुत विजयी हो आया, आरती उतारें बारी-बारी।।
आगमन प्रभात संग रश्मि का, बजी धुन राष्ट्रगान की न्यारी।
चतुर्दिक अबीर रंग गुलाल उड़े, भरत के देश छायी खुमारी।।
प्रस्फुटित धारा राष्ट्र प्रेम की, धर्म जाति भाषा अनेक।
शेष अमरज्योति पर, पुष्प अर्पण की अभिलाषा एक।।
#क्षात्र_लेखनी_
द्वारा-
संतोष सिंह क्षात्र
ग्राम व पोस्ट-सुखीपुर, थाना-अहरौला,
जनपद-आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
पिनकोड-२२३२२१
सम्पर्क-9452723237
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