जयकार हो वतन
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| 1:27 PM (4 hours ago) |
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हजारों ने हँसते-हँसते खाई है गोलियाँ!
कण-कण में है गूंजी आजादी की बोलियाँ!!
गरज चलती थी जब वीरों की टोलियाँ!
कपकपाती थी तब तब गोरों की ड्योढ़ियाँ!!
भेदभाव-द्वेष त्याग, बस एक था करम!
फांसी के तख्त पर, गुंजा वन्दे मातरम् !!
माँ भारतीय का आंचल लहराता रहे धवल!
बोस बाबू को चुभती थी यही बात हर पल!!
भगत, आजाद औरों ने, थी खाई एक कसम!
कटे माँ भारती की बेड़ियाँ, रहे न रहे हम!!
आजादी के मतवाले वतन दे चले गये!
देश के गद्दार फिर से झोली अपनी भर रहे!!
झुके न कभी तिरंगा, जयकार हो वतन!
चल दिया आजादी को, बांधकर कफ़न!!
शस्यश्यामला की धूलि माथे लगायेंगे वतन!
दूश्मनों से पहले गद्दारों की बलि चढ़ायेगें वतन!!
तेरी रक्षा में प्राण अर्पित करेगें वतन!
तेरा हर इक ऋण हम चुकायेंगे हे वतन!!
सिर झूका भेजा था सिकंदर याद है न वतन!
मिट गये मिटानेवाले,सदियों से अडिग तू वतन!!
#क्षात्र_लेखनी© @SantoshKshatra
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