जिन्होंने देश पर लूटा दी धधकती जवानी।
लिपटी हैं धूल से उनकी प्रतिमाएं आज-कल।।
बेहिचक न्योछावर हुए थे जो हजारों बलिदानी।
क्या इसी दिन के लिए, जो है सामने आज-कल।।
भटक रहे परिजन ,है दुखद उनकी कहानी।
देशद्रोहियों की सहायक हुई,राजनीति आज-कल।।
फिरंगियों के तलवे चाटते थे जो द्रोही दर-दर।
कुर्सियों पर मार कुंडली बैठें हैं वो आज-कल।।
लूटने-लूटाने में जो व्यस्त रहे सदियों तलक।
स्वतंत्रभारत में गिरगिट सा रंग बदल रहे आज-कल।।
पद-पैसे के लिए करवाते थे, जो देशभक्तों का कतल।
देशभक्ति का स्वांग रचा रहे हैं वह आज-कल।।
जिनकी पीढ़ियां रहीं देशद्रोह में तर-बतर।
देश भक्ति के जुमले वह सुना रहे आज-कल।।
लूटने-लूटाने में जो व्यस्त रहे सदियों तलक।
स्वतंत्रभारत में गिरगिट सा रंग बदल रहे आज-कल।।
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#क्षात्र_लेखनी @SantoshKshatra
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