Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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परमात्मा रोया होगा

 

कुछ पढ़े लिखे मुर्खो के कारण
कितनों ने अपनों को खोया होगा।
स्वयं की रचना पर सोच
परमात्मा फुट-फुट कर रोया होगा।। 


विज्ञान युग का था अंहकार
शायद स्वपन धूसरित होगया होगा।
त्याग परम्परा थे भागे पश्चिम
अब तो समझ आया होगा।। 


काट-छांट-तोड़-फोड़ कर प्रकृति से
धनपशुओं ने क्या पाया होगा।
धायें रहा दैवीय प्रकोप
घर-घर सियापा छाया होगा।। 


वायु प्रदूषित-मृदा प्रदूषित
इन सबमें लालच ही समाया होगा।
जीव-जन्तु भक्षक सावधान!
संग कोरोना के यमराज भी आया होगा।। 


आज की शिक्षा स्वार्थ सिखाये
अच्छाई का फिर सफाया ही होगा।
शिक्षक स्वयं जो भूले मर्यादा
सोचो चेलों ने क्या चरित्र पाया होगा।। 


गलाकाट प्रतियोगिता से बढ़ने वाला
राहों में कांटे बोया होगा।
योग्य बेटा लिख-पढ़ कर
आँसू में स्वयं को डूबोया होगा।। 


पापी घूम रहे स्वच्छंद
निश्चित ही न्याय को झुठलाया होगा।
बिक रही निष्ठा सपोलों की
कभी न कभी तो सफाया होगा।। 


धरा ने न जाने
कितने जंगल खोया होगा।
स्वार्थ में अंधे लोगों ने
कितने विष बोया होगा।। 


सन्नाटे से लिपट
परमात्मा रोया होगा।
मानव की देख अधमता
भरी रात न सोया होगा।। 


#क्षात्र_लेखनी_


द्वारा-संतोष सिंह क्षात्र

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