विपत्ति में मंद-मंद हँसते राम
हनुमंत हृदय में बसते राम।
जीवन के पल-पल में राम
सरयू के कल-कल में राम।।
दशरथ के द्वारे,प्यारे राम
कौशल्या के दूलारे राम।
भारत के कण-कण में राम
सांसों के हर क्षण में राम।।
सबरी बेर सहज स्वीकारे राम
केवट की हठ से हारे राम।
शापित सिला को उद्धारे राम
सूर के बने सहारे राम।।
जंगल-पहाड़ में बिखरे राम
महल से बाहर निखरे राम।
बिन सिया के आकुल राम
दर-दर भटके व्याकुल राम।।
मोह-माया के प्रश्न पसरे हे राम
जगत् नियंता पग-पग हैं उलझे राम।
धर्मध्वजा उठाये असूरों को संहारे राम
मर्यादा पथ के राही,तुम्हारे राम-हमारे राम।।
#क्षात्र_लेखनी @SantoshKshatra
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