Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हारे राम-हमारे राम

 

विपत्ति में मंद-मंद हँसते राम

हनुमंत हृदय में बसते राम।

जीवन के पल-पल में राम

सरयू के कल-कल में राम।।


दशरथ के द्वारे,प्यारे राम

कौशल्या के दूलारे राम।

भारत के कण-कण में राम

सांसों के हर क्षण में राम।।


सबरी बेर सहज स्वीकारे राम

केवट की हठ से हारे राम।

शापित सिला को उद्धारे राम

सूर के बने सहारे राम।।


जंगल-पहाड़ में बिखरे राम

महल से बाहर निखरे राम।

बिन सिया के आकुल राम

दर-दर भटके व्याकुल राम।।


मोह-माया के प्रश्न पसरे हे राम

जगत् नियंता पग-पग हैं उलझे  राम।

धर्मध्वजा उठाये असूरों को संहारे राम

मर्यादा पथ के राही,तुम्हारे राम-हमारे राम।।


#क्षात्र_लेखनी @SantoshKshatra





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