दुःख ही उकेरा सुख के पथ सदा
Inbox
| 8:06 AM (3 hours ago) |
भाव शून्य हुई विचलित धरा
अंग-प्रत्यंग में दर्द भरा ।
शरद थपेड़ों को झेलती
रख भरोसा, उगेगी निश्चित प्रभा।।
झुरकती पछुआ संकेत करती खरा
छायेगी वसंत रूत शरद हरा।
अरे बावरी न हो मायूस
रख भरोसा, उगेगी निश्चित प्रभा।।
दु:ख ही उकेरता सुख के पथ सदा
भूत को है ये सब कुछ पता।
क्यों ठिठक सी गई,कदम बढ़ा
रख भरोसा, उगेगी निश्चित प्रभा।।
सिकंदर भी न रह सका अड़ा
समय के सम्मुख हुआ घुटने पर खड़ा।
कितनों के ध्वस्त किये अहंकार तूने
रख भरोसा, उगेगी निश्चित प्रभा।।
जब-जब धर्म पर भय निर्भय चढ़ा
तब प्रभु को अवतार लेना पड़ा।
समय घाती न होता कभी
रख भरोसा, उगेगी निश्चित प्रभा।।
#क्षात्र_लेखनी© @SantoshKshatra
|
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY