Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गाँव की गौरैया

 
गाँव की गौरैया

(विश्व गौरैया दिवस २३ मार्च के अवसर पर सादर प्रस्तुत) 


     !!   गाँव की गौरैया  !! 


बीन-बीन के तिनका लाय गयी देखो।
छाजन में नीड़ बसाय गयी देखो।। 

किसम-किसम खर किये ठेर गयी देखो।
विधि-विधि के कौशल उकेर गयी देखो।। 

अरूणाचल में कलरव लिपटाय गयी देखो।
यही देश सोंधी परिमल भिनाय गई देखो।। 

चुन-चुन दाना खाय गयी देखो।
आली संग आंगन सजाय गयी देखो।। 

फुदक-फुदक टब में नहाय गयी देखो।
नन्हे चुजों को साहस बधाय गयी देखो।। 

टोली संग कुमुदिनी पर आय गयी देखो।
प्रकृति-मनुज सम्बंध समझाय गयी देखो।। 

चीं-चीं सुन मन हरषाय गयी देखो।
शिशुओं पर ममता बरषाय गयी देखो।। 

चुग-चुग दाना खिलाय गयी देखो।
बच्चों को उड़ना समझाय गयी देखो।। 

बेला-गोधूली भवन ओर धाय गयी देखो।
झट पट घर में समाय गयी देखो।। 

दर्पण में निहार लजाय गयी देखो।
सुदूर क्षितिज में हेराय गयी देखो।। 

निलय में जबसे नीड़ सजाय गयी देखो।
घर में समृद्धि खिलखिलाय गयी देखो।। 

क्षात्र को कविता पहुचाय गयी देखो।
नन्हे पंख से ठण्डक फैलाय गयी देखो।। 


#क्षात्र_लेखनी_

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ