मौन हूँ पर अनभिज्ञ नहीं
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आंखों में साफ लिखा पढ़ले कोई
हैं बेबस, लाचार, संग चलरे कोई
जन्म से हार को जितने की जिद है
जानता हूँ इतिहास भी, पर मैं विज्ञ नहीं
गिद्धों के चरित्र से परिचित,मौन हूँ, अनभिज्ञ नहीं
बूढ़े पांव चलने वाले, शूल-धूप सहने वाले
थका हुआ बचपन, पीड़ा को चुप पीने वाले
संग ममता के घुट घुट सीसकने वाले
मेहनत के बल पर जीने वाले
हर निशाने को समझने में सिद्ध है
हर पथिक हूँकरता, मौन हूँ पर अनभिज्ञ नहीं!!
#क्षात्र_लेखनी
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