युगपुरुष अटलजी
Inbox | x |
| 3:58 PM (2 hours ago) |
|
वह भारत का निर्माता था
वह मंद मंद मुस्काता था
वह सुर में स्वरचित गाता था
वह माँ भारती को सुहाता था
वह शत्रु पर चपला सा बरसता था
वह शांति-शस्त्र संग चलता था
वह कुटिल नीति समझता था
वह विश्व मंच पर गरजता था
निर्द्वन्द्व निडर वह लड़ता रहा
बिन थके शिखर ओर बढ़ता रहा
नियत स्पष्ट और चरित्र अटल रहा
विज्ञ वक्ता, शुद्ध हृदय-भूपटल रहा
सादा जीवन-उच्च विचार को स्वीकार किया
मृदुभाषी,सेवक,मित्र, सपूत सा व्यवहार किया
जन जन के मानसपटल पर झंकार किया
जीवन में चुनौतियों को सहृदय अंगीकार किया
जाने पहचाने दंभी मुकुटों को कुचलता रहा
मर्यादा, निष्ठा, अडिग मन से चलता रहा
सत्ता छाती पर प्रश्न प्रहार करता रहा
हर कदम सत्य अरुणिमा में निखरता रहा
@SantoshKshatra #क्षात्र_लेखनी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY