हँसते हो तुम सब मुझको देख
नाम रखते हो मेरे अनेक||
सुन्दर सुन्दर उसकी रचना
मेरी ना किसी ने की कल्पना||
ईश्वर ने किया एक नया प्रयोग
स्त्री पुरुष का किया दुरूपयोग||
जाने क्या उसके जी में आया
मुझ जैसा एक पात्र बनाया||
तुम क्या जानो मेरी व्यथा
कैसे में ये जीवन जीता||
घूंट जहर का हर पल पीता
क्या जानो मुझपे क्या बीता ||
नारी मन श्रृंगार जो करता
पुरुष रूप उपहास बनाता
तन दे दिया पुरुष का
और मन रख डाला नारी का||
गलती उसने कर डाली
तो में क्यों होता शर्मिंदा
भोग रहा हूँ में ये जीवन
रह सकता हूँ में जिन्दा||
तुमको तो दीखता है तन
मुझको तो जीना है मन||
हँस देते सब देख मुझे
हाय मेरी ना कभी लगे तुझे||
सरितापंथी राजकुमारी
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