ख़तम हो गया आज
स्वतंत्रता दिवस का त्यौहार||
नही दिखेंगे कल से
नारे, झंडे, बैनर हजार पहले हाथो से उतरेगा फिर सोच से
फिर दिल से भी उतर ही जाएगा |
सर से गायब गधे के सिंग
कौन, कहाँ, कब ढूंढ पायेगा ||
ना होगा कोई हर्ष, उल्लास और महोत्सव
हर त्यौहार की तरह एक त्यौहार |
ये भी आया और चला गया
सब खुश है अपने अपने घरो में||
पर कोई ऐसा भी है जिसके लिए
हर एक दिन स्वतंत्रता दिवस है|
उसका ये त्यौहार रोज आता है
पर ख़त्म कभी नही होता ||
उसके लिए कोई छुट्टी नही
कोई मोहलत नही, कोई विश्राम नही|
आंधी में, पानी में, तूफान में, बर्फ में,
डटा रहता है वो इस नश्वर शरीर के सहारे ||
उसका कोई घर नही, कोई परिवार नही
सपने नही, अपने नही |
वो एकमात्र रक्षक है भारतमाता का
जो क़भी नही रुकता, कभी नही हारता ||
चाहे उसके सामने दुश्मन हो
या दैवीय प्रकोप हो |
कोई मांग नही, कोई आन्दोलन भी नही
कोई अनशन नही, कोई फ़रियाद भी नही ||
न्योछावर कर देता है अपनी अंतिम साँसे तक
भारतमाता के चरणों में |
और तभी होता है सही मायनों में स्वतंत्रता दिवस||
भारतमाता के ऐसे वीर सपूतो को कोटिश कोटिश नमन:
सरितापंथी राजकुमारी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY