हर सांस तन्हा हर लम्हा तन्हा
दिल के सारे अहसास भी तन्हा
जीवन का इक इक पल तन्हा
कैसे कोई जिए हर पल तन्हा||
बोझ था जीवन भर जीवन
जीना बन गया मज़बूरी
बांकी ना रहेगा नामो निशाँ
हर पल जलना तकदीर मेरी||
सूखे पत्ते सा झर रहा
जीवन का हर एक पल
गुजर गया जो लम्हा बीता
वो जुड़ न सकेगा कल||
हर मौसम पतझर ही बना
रह जायेगा इक ठूँठ खड़ा
दीमक चाट रही जड़ो को
कल वो मिलेगा ढेर पड़ा||
दफ़न हो गये सपने सारे
तन्हाई के आगोश में
मौत की नींद सुला दो मुझको
लाना ना अब होश में
सरितापंथी राजकुमारी
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