Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी तन्हाई

 

हर सांस तन्हा हर लम्हा तन्हा

दिल के सारे अहसास भी तन्हा

जीवन का इक इक पल तन्हा

कैसे कोई जिए हर पल तन्हा||



बोझ था जीवन भर जीवन

जीना बन गया मज़बूरी

बांकी ना रहेगा नामो निशाँ

हर पल जलना तकदीर मेरी||


 

सूखे पत्ते सा झर रहा

जीवन का हर एक पल

गुजर गया जो लम्हा बीता

वो जुड़ न सकेगा कल||


हर मौसम पतझर ही बना

रह जायेगा इक ठूँठ खड़ा

दीमक चाट रही जड़ो को

कल वो मिलेगा ढेर पड़ा||


 

दफ़न हो गये सपने सारे

तन्हाई के आगोश में

मौत की नींद सुला दो मुझको

लाना ना अब होश में

 

 

 

सरितापंथी राजकुमारी

 

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