प्रार्थना
राहु -केतु से भी बढ़कर ,
यह ग्रह कोरोना आया है ,
केवल रवि -शशि को नहीं,
वरन नक्षत्रों तक को खाया है,
राहु -केतु का संकट तो
कुछ प्रहरों में कट जाता है ,
पर इस मारक ग्रह का संकट
अब वर्षाधिक से छाया है,
पूजा औ'पाठ औ' ,हवन -यज्ञ भी
इसे शमित ना कर पाए ,
गण्डे और ताबीज भी तो
तासीर न इसकी बदल पाए ,
अति दुर्जेय बना यह पापी ,
रक्तबीज-सा बढ़ता है,
रक्तबीज की हंता माता !
अब मत देर लगाओ तुम,
हम कुपूत तव विनत खड़े हैं,
कृपा दृष्टि बरसाओ तुम !
राम !उठाओ तव अमोघ शर ,
कोरोना का हनन करो ,
भार धरणि का हरने वाले
एक बार फिर वही करो !!
जय श्री राम. !!!! जय जगदंबा!!!
सरोजिनी पाण्डेय्
राहु -केतु का संकट तो
कुछ प्रहरों में कट जाता है ,
पर इस मारक ग्रह का संकट
अब वर्षाधिक से छाया है,
पूजा औ'पाठ औ' ,हवन -यज्ञ भी
इसे शमित ना कर पाए ,
गण्डे और ताबीज भी तो
तासीर न इसकी बदल पाए ,
अति दुर्जेय बना यह पापी ,
रक्तबीज-सा बढ़ता है,
छिन में तोला छिन में माशा
नित रूप नव्य यह धरता है,
मां जगदंबे !तुम कृपा करो ,
अब इस पापी का नाश करो!,
धरती पर अपनी संतति के
इस संकट को मां बेगि हरो !
हे राम! धनुर्धर तुम अनुपम ,
नित रूप नव्य यह धरता है,
मां जगदंबे !तुम कृपा करो ,
अब इस पापी का नाश करो!,
धरती पर अपनी संतति के
इस संकट को मां बेगि हरो !
हे राम! धनुर्धर तुम अनुपम ,
धरती का भार तुम्हीं हरते,
क्यों तुमने हमें अनाथ किया,
पृथ्वी का भार नहीं हरते?
इस पातक के आगे हे प्रभु !
क्यों तेरा धनु सकुचाया है ?
इस पातक के आगे हे प्रभु !
क्यों तेरा धनु सकुचाया है ?
इस हत्यारे का अंतकाल ,
रघुवर! क्या अभी न आया है??
रक्तबीज की हंता माता !
अब मत देर लगाओ तुम,
हम कुपूत तव विनत खड़े हैं,
कृपा दृष्टि बरसाओ तुम !
राम !उठाओ तव अमोघ शर ,
कोरोना का हनन करो ,
भार धरणि का हरने वाले
एक बार फिर वही करो !!
जय श्री राम. !!!! जय जगदंबा!!!
सरोजिनी पाण्डेय्
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY