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Dr. Srimati Tara Singh
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अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस पर विशेष

 

अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस पर विशेष


एक याद

अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस पर

बात पुरानी याद आई ,

थी वयस् अभी एक बाला की

पर दुल्हन बन पतिगृह आई

• * * *

पति में भी अभी लड़कपन था

हर बात में शान दिखाते थे

अपने विशेष कौशल की भी

वह मुझ पर धाक जमाते थे,

• * * * *

घर में स्कूटर ,-कार न थे

हम पैदल आते -जाते थे

आवश्यकता ही यदि आन पड़े

जन -वाहन साथ निभाते थे,

• * *

था बड़ा रंगीला वह मौसम

और दिन भी बड़ा सुहाना था ,

कुछ उदे बादल थे नभ में

और पवन बड़ा मस्ताना था

**** **** ****

"आओ तुम भी बाहर निकलो

कुछ दूर घूम कर आते हैं

अपनी इस प्यारी साइकिल की

हम तुमको सैर कराते हैं""

• *** *** ***

मौसम पहले ही मोहक था

उस पर पति का आमंत्रण भी

यह अवसर कैसे छोड़ूं मैं ,

मैं भी तो आखिर कमसिन थी !

*** *** ***

कुछ बन ठन कर ,कुछ सजी-धजी

कर कर ली तैयारी जाने की,

तन में फुर्ती, मन में उम़ग

सैंडल थी ऊंची एड़ी की

*** *** ***

जब लगी बैठने कैरियर पर

पति का रोमांस उभर आया ,

ख़ालिस फिल्मी स्टाइल में

अगले डंडे पर बिठलाया,

* * * *

कुछ दूर चले ,दो बातें की

कुछ हंसे और कुछ सकुचाए

हम नए बने दो साथी थे

एक दूजे में ही भरमाय !

*** *** ***

बस ध्यान हट गया साइकिल से

संतुलन थोड़ा बिगड़ गया

सैंडल के साथ पैर मेरा

पाहिए के भीतर चला गया

*** *** ***

साइकिल गिर गई सड़क पर ही

हम दोनों नीचे दबे हुए

मेरी कोहनी, उनका घुटना ,

दोनों छीलकर बेहाल हुए

*** **** ****

मैं घुटना -कोहनी भूल गई

आंखें भर आई आंसू से

मेरी वह नई -नई सेंडल

बदहाल हो गई साइकिल से!

*** ***** *****

वह पहली सैर साइकिल की

मुझको थोड़ा -सा रुला गई

पर यादों में ताज़ा है वह

जैसे घटना हो अभी हुई।।।

सरोजिनी पाण्डेय्

4 6.2021



 

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