| Tue, Aug 31, 10:57 AM (21 hours ago) |
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सखी मोहे श्याम बहुत मन भावै।
गउएँ चरावन घर से निकसै ,गेह मोरे घुसि आवै।
मांगै माखन, ना देऊँ तो, बरजोरी कर जावै। कबहुक तौ रिसिआइ परै अस,मटुकी फोरि गिरावै।
नंदरानी को भय दिखराऊँ,पांय मोरे परि जावै।
हाथ जोरि के नैना मुंदै,टेंसुए पुनि टपकावै।
श्यामल मुख अँसुअन सौं भीजै, मन मेरो भरि आवै।
पलक झपकि जब अखियाँ खोलै, मन पुलकित ह्वै जावै।
मोहे भरमावन की ताईं ,मुरली मधुर बजावै।
बंसी धुन सुनि सुधि मोहि बिसरै, वह तुरतै पलि जावै ।
कान्ह दरस की प्यासी अँखियाँ, कब वह पुनि गृह आवै।
सखि मोहे स्याम बहुत मन भावै।।।
सरोजिनी पाण्डेय
गउएँ चरावन घर से निकसै ,गेह मोरे घुसि आवै।
मांगै माखन, ना देऊँ तो, बरजोरी कर जावै। कबहुक तौ रिसिआइ परै अस,मटुकी फोरि गिरावै।
नंदरानी को भय दिखराऊँ,पांय मोरे परि जावै।
हाथ जोरि के नैना मुंदै,टेंसुए पुनि टपकावै।
श्यामल मुख अँसुअन सौं भीजै, मन मेरो भरि आवै।
पलक झपकि जब अखियाँ खोलै, मन पुलकित ह्वै जावै।
मोहे भरमावन की ताईं ,मुरली मधुर बजावै।
बंसी धुन सुनि सुधि मोहि बिसरै, वह तुरतै पलि जावै ।
कान्ह दरस की प्यासी अँखियाँ, कब वह पुनि गृह आवै।
सखि मोहे स्याम बहुत मन भावै।।।
सरोजिनी पाण्डेय
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