दीप से दीप जलाये रखना (कविता)
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| 9:00 AM (1 hour ago) |
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दीप से दीेप को जलाये रखना,
दिलों को दिलों से मिलाए रखना।
अंधकार न रहे किसी तरह का मनों में,
हाथों को हाथों से मिलाए रखना।
हँसी-ख़ुशी से सब यहाँ पर रहे,
दीप(दिल) में प्रेम का तेल बनाए रखना।
दीप को दीप से जलाए रखना।।......
रचयिता- सर्वेश कुमार मारुत
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