Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मछली- मछली

 

मछली- मछली इधर तो आ,
आकर अपना नाम बता।
डर मत मछली आ भी जा,
और आकर के खाना खा जा।
मछली-मछली मान भी जा,
हठ मत कर और न शर्मा।
तुझको हाथ लगाऊँ मैं तो,
मुझको आये बड़ा मजा।
मछली- मछली एक बात बता,
पानी से तेरा साथ बड़ा।
और बिन पानी तेरा होगा क्या?
मैंने अब यह लिया है मान,
पानी ही तेरा जीवन दान।
क्या करूँ मैं और बखान?
बिन पानी तेरे निकले प्रान।

 

 


सर्वेश कुमार मारुत

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