दादी, ताई, मां, चाची, बहन, भाभी
के छाज के आगे से
घर के आंगन में आकर
फुदक-फुदक के दाना चुगती
कहां गई रे गौरैयां
घर की छत में
तस्वीर के पीछे ओट में
छोटे-छोटे आलंे-दिवालों में
छोटे- छोटे तिनके चुनकर घर बनाती
कहां गई रे गौरेयां
बारिस के मौसम में
बदलों से झरती ठण्डी बूंदों में
पेडों, मंउेरांे, व आंगनों के उपर
मासूम अलहड खेलती ठिठुराती
कहां गई रे गौरेयां
सतीश कुमार चाँद
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