हाथ में लेकर कलम
कोरे कागज पर
दिल कहता है
तेरे लिए कुछ लिखंू
फिर सोचता हूॅं मैं कुछ पल
तेरे लिए क्या लिखूं
दीये की रोशनी में बैठ कर
या चांद की चांदनी में कहां लिखूं
चंाद-तारों की प्यारी बातें
या फुल-बहारों की बातें क्या लिखूं
अपने चारों ओर छाई उदासी
या बैचेनी की ये चुभन क्यों लिखूं
अतः मैं दिल ने यह कह दिया
खैर खबर पुछके दुआ सलाम लिखूं
सतीश कुमार ’चांद’
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