संकल्पों का हाल तो, हमने देख लिया है .
कसमें - वादों का , फलाफल देख लिया है .
अब संकल्प का नया कोई, विकल्प बनाना होगा .
भूल गए मर्यादा जो , उन्हें हद में लाना होगा .
नारी की अस्मत लूट जाती , कली चमन में ही मिट जाती .
अपनों के ही बीच बहन और , बेटी की किस्मत फूट जाती .
उन वहशी - लंपट को अब तो , सबक सिखाना होगा .
भूल गए मर्यादा जो , उन्हें हद में लाना होगा .
यह भारत है जिसका जग ने , सदियों से अनुकरण किया .
इसी देश के बल पे जग ने , खड़ा एक आचरण किया .
भूल गये हैं जो उनको , इतिहास रटाना होगा .
भूल गए मर्यादा जो , उन्हें हद में लाना होगा .
लक्ष्मण - रेखा फिर से खींचो , रावण ना घुसने पाये .
कितना भी हो पतित भले वह , सीता तक न पहुँच पाये .
हर भेड़िये को खींच - खींच कर , पिंजड़े तक लाना होगा .
भूल गए मर्यादा जो , उन्हें हद में लाना होगा .
--- सतीश मापतपुरी
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