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Dr. Srimati Tara Singh
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चलो जिंदगी को मोहब्बत बना लें

 

 

zindagi_komohabbat

 

चलो जिंदगी को मोहब्बत बना लें.
हमारी सुनो कुछ - कुछ अपनी सुनाओ,
बातों के सुर -ताल , फिर से मिला लें.
क्या सोचती हो - क्यों सोचती हो?
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना लें.
राहों में अब भी कदम के निशां हैं,
जिस राह हम -तुम संग -संग चले थे.
करो याद वो दिन - करो याद वो पल,
जब साथ थे, हमसफ़र - हमकदम थे.
अब सोचता हूँ वो कैसे थे लम्हे,
जब सिर्फ हम थे, ख़ुशी थी - ना गम थे.
कदम तुम बढ़ाओ-कदम हम बढ़ाएं,
चलो इस सफ़र को इबादत बना लें.
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना लें.
नभ को निहारो -दिल इसका देखो,
जिसमें भरी है कितनी जवानी.
सजती सितारों की हर रात महफ़िल,
जिसमें कशिश है - जिसमें रवानी.
चलो आज फिर से सोचें -विचारें,
हमने क्या खोया -हमने क्या पाया.
खुदा ने बनाया धड़कता हुआ दिल,
खुदा ने बनाया ये मासूम काया.
बड़ी मुश्किलों से फिर यारी हुई है ,
चलो अब इसे हम मुक़द्दर बना लें.
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना लें.

 


----- सतीश मापतपुरी

 

 

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