यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम .
हो गई आशनाई हमें रात से .
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फ़न को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .
-सतीश मापतपुरी
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