कैसे कोई हमको अलग कर पायेगा
क्या पता था राम को, कि ऐसा दिन भी आएगा.
उनकी अयोध्या में ,उन्हें खैरात बांटा जायेगा.
जिस ज़मीं पर ठुमक-ठुमक, भगवान को चलना पड़ा था.
जिस जगह नारायण को, नर रूप में आना पड़ा था.
भावी को भी क्या पता था, ऐसा दिन भी आयेगा.
राम के अस्तित्व को, मुद्दा बनाया जाएगा.
क्या पता था राम को, कि ऐसा दिन भी आएगा
हिन्दू मुस्लिम हैं अलग, ये कब कहा था राम और रहमान ने?
मंदिर मस्जिद है जुदा, क्या यह सिखाया है खुदा भगवान ने?
नींव नफरत है धरम की, है लिखा गीता में या कुरान में?
सच तो है, यह सब सिखाया है हमें इंसान ने.
अब भी अगर ना चेते अगर ,सब कुछ ख़तम हो जायेगा.
क्या पता था राम को, कि ऐसा दिन भी आएगा
शुक्र है मंदिर - मस्जिद ही नहीं, यहाँ न्याय का मंदिर भी है.
शुक्र है भाईचारा और, जज़्बात का मंज़र भी है.
शंख और अज़ान में, एक अमन का असर भी है.
साधना - नमाज़ में, उम्मीद की एक सहर भी है.
फिर पुरी कैसे कोई, हमको अलग कर पायेगा.
क्या पता था राम को, कि ऐसा दिन भी आएगा
------ सतीश मापतपुरी
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