कितना हसीन चाँद है,पूनम की शाम का .
पन्ने किताब खुल गये,फिर उनके नाम का.
उनकी जफा के वास्ते, हमने वफ़ा किया .
बदले में प्यास पा लिया,हर रात जाम का .
होता नहीं हिसाब कभी , प्यार का ऐ दिल .
ना ही नफा का और , ना ही नुकसान का .
तेरी ख़ुदाई में खुदा , सब कुछ बदल गया .
मण्डी में भाव गिर गया,अब इंसान का .
मापतपुरी का क्यूँ भला, कोई नाम ले यहाँ .
सब नाम ले रहे हैं , यहाँ बदनाम का .
... सतीश मापतपुरी"
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