Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कितना हसीन चाँद

 

 

कितना हसीन चाँद है,पूनम की शाम का .
पन्ने किताब खुल गये,फिर उनके नाम का.

 


उनकी जफा के वास्ते, हमने वफ़ा किया .
बदले में प्यास पा लिया,हर रात जाम का .

 


होता नहीं हिसाब कभी , प्यार का ऐ दिल .
ना ही नफा का और , ना ही नुकसान का .

 


तेरी ख़ुदाई में खुदा , सब कुछ बदल गया .
मण्डी में भाव गिर गया,अब इंसान का .

 


मापतपुरी का क्यूँ भला, कोई नाम ले यहाँ .
सब नाम ले रहे हैं , यहाँ बदनाम का .

 

 

 

... सतीश मापतपुरी"

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