सारे शिकवे - गिले अब भुला दीजिये.
नया साल आ गया मुसकुरा दीजिये.
हर ख़ता माफ़ करने की रुत आ गयी.
हैं ख़फा जो उन्हें फिर मना लीजिये.
नया साल आ गया मुसकुरा दीजिये.
कीजिये कामना सबके अपने मिले.
सबकी आँखों को सुन्दर से सपने मिले.
दो दिलों में रहे ना कोई दूरियाँ.
इस तरह दिल से दिल मिला लीजिये.
नया साल आ गया मुसकुरा दीजिये.
नए साल का हम यूँ स्वागत करें.
आओ सब भूल करके मुहब्बत करें.
नफरतों की दीवारें गिरा दीजिये.
नया साल आ गया मुसकुरा दीजिये.
सारी धरती पे खुशियों की बरसात हो.
ईद का दिन दिवाली की हर रात हो.
हमसे हमको ना कोई जुदा कर सके.
इस तरह हाथ अपने मिला लीजिये.
नया साल आ गया मुसकुरा दीजिये.
----- सतीश मापतपुरी
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