Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रब का बन्दा ही यहाँ नाकाम है

 

आज दुनिया में उन्हीं की शान है .

सबसे ज्यादा जो यहाँ बदनाम है .


दम तो भरता है पड़ोसी दोस्ती का .
पर सिला में मिलता कत्लेआम है .


रह गया मन्दर और मस्जिद ही यहाँ .
अब वहाँ रहता खुदा - ना राम है .


चढ़ गये कुर्सी तो फिर क्या सोचना .
जब तलक कुर्सी है बस आराम है .


वक़्त कैसा आ गया मापतपुरी.
रब का बन्दा ही यहाँ नाकाम है .

 


--- सतीश मापातपुरी

 

 

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