हमरी गउरा है बारि - कुँवारी , दईबा ये क्या किया .
पान के पात सी है सुकुमारी, राजा हिमालय की राजकुमारी .
शिवशम्भु सनकी हैं भारी, दईबा ये क्या किया .
हमरी गउरा है बारि - कुँवारी , दईबा ये क्या किया .
भूत-परेत बारात में लाये ,बसहा बैल चढ़ शंकर जी आये .
दुल्हा है या है मदारी , दईबा ये क्या किया .
हमरी गउरा है बारि - कुँवारी , दईबा ये क्या किया .
मैना ने सोचा ये कैसा जमाई , मौरी नहीं सर गंगा समाई.
नारद को जी भर दी गारी, दईबा ये क्या किया .
हमरी गउरा है बारि - कुँवारी , दईबा ये क्या किया .
---सतीश मापतपुरी
---- महाशिव्ररात्रि की हार्दिक बधाई ----
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