Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे अशआर हैं

 

कैसे कहें हुज़ूर, आप गुनाहगार हैं
दिल में दफ़न तो राज़े मोहब्बत हज़ार हैं.


हुस्न तो अता किया परवरदिगार ने.
वो किस लिए सोचें भला, कितने बीमार हैं.


आँखों को सज़ा दी तो सच सामने आया.
चाहत - वफ़ा की रस्में, ये सब बेकार हैं.


एकरार भी किया इज़हार भी किया.
अब तो बता दे संगदिल , तेरे कितने यार हैं.


फर्क क्या है नज़्म, गीत या ग़ज़ल कहें.
कहते जो मापतपुरी , वो तेरे अशआर हैं.

 


-- सतीश मापतपुरी

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