Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जब से है देखा तुझको मेरी जां

 

जब से है देखा तुझको मेरी जां

जन्नत लगे है

मेरी ये दुनिया

ख्वाबों में मेरे

जब से तू आई

साँसों में मेरे

घुल सी गई है

मेरा ये घर भी

घर अब लगे है

जिसमे कभी मैं कतराता आते

तू ही यक़ीनन इसकी वजह है ................

हाँ तू वजह है .............

जब से है देखा तुझको मेरी जां ............... 2 बार

 


मेरे ही दिल में

तेरा है आसन

तुझको बताऊँ

कैसे मेरी जां

तुझपे फ़िदा ये दिल हो गया है

साँसों की जैसे

सबको जरूरत

उतना ही तू भी

मेरे लिए है

भूखा ही जाने रोटी की कीमत

लेकिन मेरी जां

मेरे लिए तुम

उससे भी बढ़ कर

हाँ उससे भी बढ़ कर ..........

जब से है देखा तुझको मेरी जां ............ 2 बार

 


मेरे दिल की कहानी

इस दिल की जबानी

रख दूँगा अब मैं

क़दमों में तेरे

ढूँढो,टटोलो

दिल को जरा तुम

देखो वहाँ एक

मीठी सी दस्तक

पहचान कर लो

आखिर बुलाना

हाँ आखिर बुलाना ...........

आ, हा ,आ,हा,आ,हा ...................

जब से है देखा तुझको मेरी जां ............... 2 बार



- सतीश कुमार

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