बीड़ी,खैनी,पान,कसैली
मुख में रख कर चले बाजार
चेले के संग मुसधर लाल
थोड़ी सी है चाल कड़क औ'
मूँछो पे' हाथों का ताव
सर पर छतरी तान धूप में
चले घूमने मुसधर लाल
पहुँचे जब मुसधर बाजार
निकट पधारे चेले औ' चार
मिल पाँचो चेले तब उचके
ताड़ी के झोपड़ में घुस कर
बैठक मुसधर लाल लगा कर
बाबा जइसन मुद्रा में
संबोधन का तिलक लगा कर
गरजे भाषण की तल्खी-सी
धूम-धड़ाक,अकरम-बकरम
बोल-वचन का दौर चले
चेलवन-चिटवन पाछे-पाछे
हुँआ s ... हुँआ s ... की मुद्रा में
घंटों ऐसे मुंड डोलावे
मुसधर लाल चेले के संग
और खतम करते वादे संग
कल को सभा लगायेंगे फिर
सतीश कुमार
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