एक हाँथ से चाय की चुस्की
दूजे से बीड़ी सुलगाये
ढेरो पन्ने उलटे,फाड़े
और कलम से कान खुजाये
चाय की चुस्की खत्म हुई ना
वह उठ जोर लगा चिल्लाये
एक कविता खत्म
औ' दूजी
शुरू हो गई मामू !
- सतीश कुमार
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एक हाँथ से चाय की चुस्की
दूजे से बीड़ी सुलगाये
ढेरो पन्ने उलटे,फाड़े
और कलम से कान खुजाये
चाय की चुस्की खत्म हुई ना
वह उठ जोर लगा चिल्लाये
एक कविता खत्म
औ' दूजी
शुरू हो गई मामू !
- सतीश कुमार
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