Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आशियाँ

 

तीन रंगों का ही कारवां चाहिए ,
हो मोहब्बत जहां बागवां चाहिए ।


अंधबिश्वास, आतंक औ नफ़रतें ,
जो मिटा दे वही नौजवाँ चाहिए ।


हर परिन्दें उड़ें हो के बेखौफ अब ,
मुझको ऐसा नया आसमां चाहिए ।


सब इबादत करें माँ की ईमान से ,
इससे ज्यादा खुदा और क्या चाहिए ।


मैं रहूँ ना रहूँ कोई गम है नहीं ,
पर सलामत मेरा आशियाँ चाहिए ।

 

 


सत्यदेव विश्वकर्मा

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