हाथ जोड़कर विनती करता हूँ मैं कृपानिधान ,
खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ,खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ।
आँगन में हो अमन चैन खेतों में चुनर धानी ,
हर बचपन खिल उठे बुलंदी पर हो इसकी जवानी ,
संस्कार विश्वास समर्पण की बहती हो गंगा ,
गीता और कुरान के हाथों में हो सजा तिरंगा ,
सुर कबीरा तुलसी मीरा के संग हों रसखान -----खुश रहे मेरा हिंदुस्तान ------
दहशतगर्दों की नस्लों को खाक में चलो मिलाएँ ,
नफरत की जलती ज्वाला को प्यार से अभी बुझाएँ ,
आध्यात्म ज्ञान विज्ञान योग की बरसे अमृत धारा ,
बेटी बेटा मिलकर चमकें जैसे कोई सितारा ,
कोयल मोर पपीहा करते माटी का गुणगान --------खुश रहे मेरा हिंदुस्तान -----
अपने लहू से जिस माटी को बीरों ने है सजाया ,
विजय पताका इस त्रिभुवन में भारत का लहराया ,
कसम खा रहे भारत माँ का आन न झुकने देंगे ,
प्राण चले जाएँ फिर भी सम्मान न झुकने देंगे ,
बीर जवानों संग तुम्हारे सारा हिंदुस्तान ------------खुश रहे मेरा हिंदुस्तान -------------
सत्यदेव विश्वकर्मा
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