सत्यनारायण पंवार
प्राचीन काल में दो परिवारों के मुखिया अपने लड़के और लड़की की शादी आपस में मिलकर तय करते थे। लड़के को लड़की से मिलने का अवसर नही दिया जाता था। अगर वे मिलने की कोशिश करते थे तो उसे बुरा माना जाता था। धीरे-धीरे यह कुप्रथा समाप्त हो गई। इतना ही नहीं बाल-विवाह तक का प्रचलन था लेकिन समय के साथ यह प्रथा भी समाप्त हो गई। आजकल एक लड़का और एक लड़की के माता-पिता ही आपस में शादी की बातचीत नहीं करते बल्कि लड़का और लड़की भी आपस में मिलकर और एक दूसरे को पसन्द करके शादी करते है।
शादी के पहले की विभिन्न प्रथाएं कितनी सही है और कितनी गलत हैं। इस बात का आप ही निर्णय लें। शादी से पहले लड़के और लड़की के दोनों के परिवार वाले सामान्य रूप से मिले जिसमें कोई आडम्बर या कृत्रिम वातावरण न पैदा किया जाय। ऐसे स्वाभाविक मिलन के बाद शादी करना सही लगता है। लेकिन अधिकतर ऐसा नहीं होता। लड़की वाले डरे हुए अपने पड़ोसियों से फ्रीज, टी.वी. और सौफा-सेट मांग कर अपने घर को सजायेगें और लड़की को ब्यूटी पार्लर से मेकअप करवाकर तैयार करेंगें। लड़के वाले लड़की देखने के लिए लड़की वालों के घर मांगी हुई कार में जायेगंे। लड़के वाले लड़की की शक्ल ही नहीं देखेगें बल्कि उसका पूरा ईन्टरव्यु लेंगें। उनके लड़के में कितने गुण है उसकी आवश्यकता नहीं लेकिन लड़की की पढाई के साथ-साथ खाना पकाना, गाना गाना, नृत्य करना और सिलाई बुनाई में निपुण होना आवश्यक होता है। इस प्रकार लड़के के परिवार वाले लड़की के परिवार वालों पर अपना प्रभुत्व जमाते है। कहीं-कहीं तो खासकर यू.पी. और बिहार में दहेज के लेनदेन की बात भी करेगें। ऐसी प्रथा गलत है क्योंकि लड़के और लड़की की शादी एक पवित्र बंधन है जिसमें दोनों ही परिवार के सदस्यों को बराबर के स्तर का समझना चाहिए। पवित्र बंधन की शर्तो में बांधा नहीं जा सकता। जहाँ तक लड़की को सजा-धजा कर घर, मंदिर या सिनेमा हाल में देखने दिखाने का सवाल है, मैं इसे भद्दी प्रथा मानता हूँ क्यांेकि देखने दिखाने के बाद लड़की को अस्वीकार किया जाता है तो लड़की पर क्या गुजरती होगी, जैसे पशु या पदार्थ को देखकर अस्वीकृत कर दी गई हो। ऐसी लड़कियां हीनता मनोवृति का शिकार हो जाती है और उनका जीवन बर्बाद हो जाता है।
कुछ धनिक और उच्च स्तर के लोग लड़के और लड़की को शादी से पहले आपस में स्वतंत्र रूप से मिलने की आजादी दे देते है। बदमास लड़के लड़की को शादी की हां भरकर और फुसलाकर उससे यौन संबंध भी स्थापित कर लेते है और बाद में शादी करने से इंकार कर देते है। ऐसी परिस्थिति में लड़का लड़की से कहता है कि अगर वो शादी से पहले मेरे साथ हमबिस्तर हो सकती है तो दूसरों के साथ भी हो सकती है। लड़के और लड़कियों को आवश्यकता से अधिक स्वतंत्रता देने में भी जोखिम का काम है। इसलिए मैं इस प्रथा के विरोध में हूँ।
आजकल हमारे देश में एड्स की बीमारी फैल रही है। किसी भी लड़के या लड़की की शक्ल पर नहीं लिखा रहता है कि वह एड्स की बीमारी से पीड़ित है। एड्स की बीमारी से पीड़ित सभी युवा शक्ल-सूरत में सामान्य लगते है। इतना ही नहीं कोई अन्य बीमारी से ग्रसित युवा भी दिखने में सामान्य लगता है। हमारे समाज में शादी से पहिले लड़के और लड़की के माता-पिता सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए अपने बच्चों को इन बिमारियों से ग्रस्त होने की बात सम्बन्धियों को नहीं बताते है और अंधेरे में रखते है। लड़की वाले डर के मारे इन बातों के बारे में पूछने की हिम्मत नहीं कर सकते क्योंकि अगर इन बातों के बारें में पूछेंगें तो लड़के वाले नाराज होकर शादी करने से इंकार कर देगें। इस प्रकार शर्मा-शर्मी के वातावरण में लड़के-लड़की की शादी हो जाती है तो उन्हें शादी के बाद भुगतना पड़ता है और उनका भविष्य अन्धेरे में हो जाता है। एड्स जैसी जानलेवा भयानक बीमारी शादी के बाद एक दूसरे को ग्रसित करती ही है लेकिन होने वाली संतान भी एड्स से पीड़ित हो जाती है। इस प्रकार झूठी सामाजिक प्रतिष्ठा के द्वारा युवाओं के जीवन का बर्बाद करने का हमें कोई हक नहीं। किन्तु मनुष्य बड़ा स्वार्थी होता है अपने सुख की आशा में कितनों को दुःखी बनाता है।
विवाह एक पूनीत बंधन है और यौवन के अनन्य प्रेम की मर्यादा है। इस बंधन में मन, वचन और कर्म एक ईकाई हो जाते है। ऐसे बंधन के लिए शादी से पहले लड़के लड़की और उनके परिवार के सभी सदस्यों को खुलकर विचार-विमर्श करना चाहिए। शादी से पहले लड़के का लड़की से सीमा में रहकर मिलना और उनकी सहमति आवश्यक है। दोनों ही अपनी बातचीत में खुलकर अपनी अच्छाईयों के अलावा अपनी कमियों को बताना न भूले। लड़के और लड़की के परिवार वालों को भी अपने परिवार की अच्छाई के साथ-साथ कमजोरियों को भी बताना आवश्यक है जिससे शादी के बाद कोई कलह पैदा न हो। आज एड्स की बीमारी इतनी प्रचलित हो गई है। इसलिए शादी से पहिले लड़के और लड़की का ब्लड का एच.आई.वी. टेस्ट कराना आवश्यक है। लड़के और लड़की को ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट देखकर ही सात फेरे लेने चाहिए। जिससे वे शादी के बाद फले-फूले। शादी से पहले एक लड़का और एक लड़की प्रेम करें एक दूसरे को पूरी तरह पहिचाने, सीमा में रहें और माता-पिता की आज्ञा लेकर फिर विवाह करें तो उनका अति उŸाम भविष्य होगा।
(सत्यनारायण पंवार)
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