देश की अखंडता को, रोकने के लिये आज।
बहना ईद साथ ले, आया है पतेती जी।।
थोडी दूर पर खडे, ढांढस बंधाते देख।
बडा गुरू पर्व संग, मोहिनी दिवाली जी।।
बारी बारी आते पर्व, इसी नेक भाव संग।
देश गतिमान रहे, एकता के साथ जी।।
देश के अखंडता की, बुझने न पाए आग।
एकता की जगी रहे, सदा ये मसाल जी।।
भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी राख कैसे, चिनगारी भडकी।।
देश की अखंडता न,जिनको सुहाती आज।
बने हैं पलीता सब, वही इस आग की।।
देश की अखंडता को, यूँ न कर तार तार ।
सुधि कर प्यारे जरा , माँ के उपकार की।।
- सत्यनारायण सिंह
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