Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जाने क्यूँ गुमशुम है मन !

 

जाने क्यूँ गुमशुम है मन !
निमिष मात्र में,
जग का कोना नापनेवाला
द्रुतिगत मन
गगन भेदकर अंतरिक्ष में,
स्वछंद विचरनेवाला मन
भूतल की गहरायी तक जा
सहज पैठनेवाला मन
चपला सा चंचल फिर भी
जाने क्यूँ गुमशुम है मन !
प्रश्नों का उत्तर देनें में
तत्पर अरु उत्साही मन
किंतु आज के प्रश्नों पर
क्यूँ चुप्पी साधे बैठा मन
शायद बहुतेरे प्रश्नों की
लाज बचाता चुप्पी मन!

 


- सत्यनारायण सिंह

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