Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कृष्णम् वन्दे

 

(1) जेल में जन्म
बंध मुक्त जीवन
जीने की सीख ।

 

(2) मोहनी छवि
नयन निहारत
नहिं अघात ।

 

(3) शोर मचाती
गलियों में घूमती
गोविंदा टोली ।




(4) द्वापर युग
एक था शिशुपाल
आज अनेक ।

 

(5) केवल पांच
फंसा शकुनि जाल
जगत सारा ।

 

(6) कंस शासन
रूप परिवर्धित
माफिया राज ।

 

(7) पालनहार
पलने मे निहार
चकित जग ।

 

(8) कैसे चढाऊँ ?
सपरेटा का दूध
शुध्दता हीन ।

 

(9) पग पैजन
कमर करधन
मन मोहत ।

 

(10) श्याम की प्यारी
अधर विराजत
बंशी न्यारी ।



सत्यनारायण सिंह

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ