Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दीवाली का पर्व ये

 
दीवाली का पर्व ये
शुभ दीवाली आ गई, झूम रहा संसार। 
माँ लक्ष्मी का आगमन,  सजे सभी घर द्वार।। 
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सुख शांति सबको मिले, मिले प्यार उपहार। 
सच में सौरभ हो तभी, दीवाली त्यौहार।। 
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दीवाली का पर्व ये, हो सौरभ तब खास। 
आ जाए जब झोंपड़ी, भी महलों को रास।। 
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जिनके स्वच्छ विचार है, रखे प्रेम व्यवहार।
उनके सौरभ रोज ही, दीवाली त्यौहार।। 
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दीवाली उनकी मने, होय सुखी परिवार। 
दीप बेच रोशन करे, सौरभ जो घर द्वार।।
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मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद ।
जान देश के नाम जो, करके हुए शहीद ।।
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फीके-फीके हो गए, त्योहारों के रंग ।
दीप दिवाली के बुझे, होली है बेरंग ।।
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स्नेह भरे मोती नहीं, खाली मन की सीप ।
सूख गई हैं बातियाँ, जले नहीं अब दीप ।।
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बाती रूठी दीप से, हो कैसे प्रकाश।
बैठा मन को बांधकर, अंधियारे का पाश।। 
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-डॉ सत्यवान सौरभ

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