ईश विश्वकर्मा हमें
विश्वकर्मा जगत बसे, सुन्दर सर्जनकार।
नव्यकृति नित ही गढ़े, करे रूप साकार।।
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अस्त्र-शस्त्र सब गढ़े, रचे अटारी धाम।
पूज्य प्रजापति श्री करे, सौरभ पावन काम।।
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गढ़ते तुम संसार को, रचते नव औजार
तुम अभियंता जगत के, सच्चे तारणहार।।
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तुमसे वाहन साधन है, जीवन के आधार।
तुमसे ही यश-बल बढे, तुमसे सब उपहार।।
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ईश विश्वकर्मा करे, कैसे शब्द बखान।
जग में मिलता है नहीं, बिना आपके ज्ञान।।
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आप कर्म के देवता, कर्म ज्योति का पुंज।
ईश विश्वकर्मा जहाँ, सुरभित होय निकुंज।।
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सृष्टि कर्ता अद्भुत सकल, बांटे हित का ज्ञान।
अतुल तेज़ सौरभ भरे, हरते सभी अज्ञान।।
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भरते हुनर हाथ में, देकर शिल्प विज्ञान।
ईश विश्वकर्मा हमें, देते नव पहचान।।
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ईश विश्वकर्मा हमें, दीजे दया निधान।
बैठा सौरभ आपके, चरण कमल धर ध्यान।।
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---डॉ सत्यवान सौरभ
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