शाम के वक़्त
आसमान गहरा नीला
कुछ काला
और क्षितिज
गुलाबी लाल !
बच्चों की तरह
बाहें फैलाकर
गोल गोल घूमो
तीन सौ साठ डिग्री
हर तरफ देखो
क्षितिज
गुलाबी लाल
जैसे आसमान के डोम को
किसीने धरती से
वेल्डिंग करके
अभी अभी
जोड़ दिया हो
काटो इस डोम को किनारों से
या कटने से बचाओ
( तुम्हारी मर्ज़ी )
थोड़ी देर में सबकुछ अँधेरा हो जायेगा ||
तब करना याद
था एक पाग़ल कवि
जो एक कुशल चित्रकार की तरह
छिड़क देता था तारे
इत्ते सारे !!
और कर जाता था हस्ताक्षर
अपने चाँद पर !!
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY