मजदूरी करके भी हमको उसने पढ़ाया है ।कचौड़ी के बदले उसने सूखी रोटी खाया है ।हम पढ़-लिखकर इन्सान बनेंगे,यह उम्मीद उसने खुद में जगाया है ।
जब पिया सिगरेट बेटा,देख वह शरमाया है ।उसने नशा का मूँह ना देखा,बेटे ने शिखर आज चबाया है ।उसकी उम्मीदों का आज गला घोंट,पता नही बेटे ने आज क्या पाया है ।
सौरभ कुमार ठाकुर बाल कवि एवं लेखक स्वरचित एवं अभी तक अप्रकाशित रचनाग्राम- रतनपुरा, डाकघर- गिद्धा, थाना-सरैया, जिला-मुजफ्फरपुर, राज्य-बिहार, देश-भारत, पिन कोड-843106मो0- 8800416537
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